वक्त बदल गया है, अब भी मैं विद्यार्थी हूं लेकिन किसी स्कूल, कॉलेज का नहीं... विद्यार्थी हूं जिसे जीवन रोज़ नए सबक सीखा रहा है... सच है कि विद्यार्थी जीवन का कोई मोल नहीं...खैर
लोग कहते थे कि शादी के बाद पति-पत्नी पर नयी ज़िम्मेदारियां आती हैं, जो कि मैं नहीं मानता था, लेकिन दिन-ब-दिन मुझ पर एक पहाड़ सा बनता जा रहा है जो कब टूटेगा पता नहीं, रोज़ नयी चुनौतियां, रोज़ नए काम! अंत ही नहीं होता..ह..
जिस बिजली के बिल को मैंने कभी देखा नहीं था, अब हर महीने उसका भुगतान मेरे कंधों पर है... आलू-टमाटर खाया तो बहुत था लेकिन किस कीमत पर खा रहा हूं अब समझा... शॉर्ट में आटे-दाल का भाव मालूम हो गया...ह...
लेकिन मैं पीछे नहीं हटा हूं, ज़िम्मेदारियों से, चुनौतियों से...
जारी रहेगा...